पालक गण आपके बच्चों के ग्रीष्मकालीन परियोजना हेतु आपके लिए दिशानिर्देश

पिछले कई महीनों से आपके बच्चों की देखभाल करने प्रतिदिन उन्हें स्कूल में देखने, समझने और उनके साथ काम करने में हमें अच्छा लगा। आपने गौर किया होगा कि स्कूल में आकर उनमें भी कुछ परिवर्तन आया होगा। अगले महीने उनके प्राकृतिक संरक्षक यानी आप उनके साथ छुट्टियॉ बिताएंगे। हम आपको कुछ बातें बता रहे हैं, जिससे यह समय उनके लिए उपयोगी और खुशनुमा साबित होगा, क्योंकि आप भी अपने बच्चों को खुश देखना चाहते हैं।

  • अपने बच्चों के साथ कम से कम दो बार का खाना जरूर खाएं। किसानों के महत्व और उनके कठिन परिश्रम के बारे में बताएं । उन्हें बताएं कि आपका खाना बेकार ना करें एवं अन्न की महत्ता बताए,और फास्ट फूड के नुकसान भी बताएं।
  • खाने के बाद उन्हें अपनी प्लेट खुद धोने दे। इस तरह के कामों से बच्चे मेहनत की कीमत समझेंगे।
  • उन्हें अपने साथ खाना बनाने में मदद करने दे। उन्हें उनके लिए सब्जी या फिर सलाद बनाने दे। यदि सब्जी खुद खरीदते हैं तो यह उत्तम होगा। घर के घरेलू कामों जैसे पानी भरना ,दूध लाना अतिथियों को पानी देना आदि कार्यों में उनकी अवश्य मदद लें। बड़े होकर जब वे कहीं उच्च शिक्षा या नौकरी हेतु जाते हैं तो उन्हें अपना कार्य करने की आदत होनी चाहिए।
  • पड़ोसियों के घर जाएं उनके बारे में और जाने घनिष्ठता बढ़ाएं। पड़ोसियों के साथ अच्छा व्यवहार भी उतना ही आवश्यक है।
  • दादा – दादी /नाना – नानी के घर जाए और उन्हें बच्चों के साथ घुलने मिलने दे।उनका प्यार और भावनात्मक सहारा आपके बच्चों के लिए बहुत जरूरी है। उनके साथ तस्वीरें ले। उन्हें उनके साथ कुछ समय अकेले छोड़ दें।
    *उन्हें अपने काम करने की जगह पर लेकर जाए। जिससे वह समझ सके कि आप परिवार के लिए कितनी मेहनत करते हैं ।आप दिन भर काम करके परिवार के लिए कितना परिश्रम करते हैं, इसका आभास अवश्य कराएं। जिससे वे अपने परिवार द्वारा किए गये त्याग व मेहनत को महसूस कर सकें।
  • किसी भी स्थानीय बाजार का भ्रमण करें। स्थानीय चीजें और स्वादिष्ट व्यंजनों से बीच-बीच में रूबरू होना आवश्यक है। बच्चों को पैसे देकर या उनकी मर्जी से चलने देने के बदले अपना समय उन्हें दे ताकि उन्हें समय की कीमत का भी एहसास हो।
  • अपने बच्चों को किचन गार्डन बनाने के लिए घर पर टब में, बाल्टी में बीज बोने के लिए प्रेरित करें । पेड़-पौधों के बारे में जानकारी होना भी बच्चे के विकास के लिए जरूरी है।
  • अपने बचपन और अपने परिवार के इतिहास एवं माता-पिता की जन्मभूमि गांव के बारे में बच्चों को अवश्य बताएं। अपने परिवार अपनी पृष्ठभूमि, अपने परिवार की जड़े कहां से जुड़ी है, इसका ज्ञान भी उन्हें अवश्य होना चाहिए।
  • अपने बच्चों को बाहर जाकर खेलने दे ,चोट लगने दे, गंदा होने दें,कभी कभार गिरना और दर्द सहना उनके लिए अच्छा है। सोफे के कुशन जैसी आराम की जिंदगी आपके बच्चों को आलसी बना देगी। सुबह जल्दी उठना तथा सुबह-शाम व्यायाम की आदत भी डालना आवश्यक है। जीवन में स्वस्थ रहने के तरीके भी उन्हें बताने होंगे।
  • उन्हें पालतू जानवरों से भी परिचित करवाएं। पशु पक्षियों के लिए सकोरे का प्रबंध करने के लिए प्रेरित करें। पशु- पक्षी और पालतू जानवरों से स्नेह भी पारिस्थितिकी तंत्र या ईको सिस्टम को मजबूत बनाता है, यह भी उन्हें मालूम होना चाहिए।
  • उन्हें कुछ लोकगीत सुनाएं । प्रेरक कहानियां सुना कर अच्छे काम करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। संस्कारों से भी उन्हें परिचित करने का कार्य करें।
  • अपने बच्चों के लिए रंग बिरंगी तस्वीरों वाली कुछ कहानियों की किताबें लेकर आए अथवा पुरानी बेकार चीजों से कुछ नई चीजें बनाने में मदद करें। बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट एक्टिविटी के तहत यह कार्य उन्हें अच्छा प्रयास करने के लिए प्रेरित करेगा।
  • अपने बच्चों को टीवी, मोबाइल फोन, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से दूर रखें । इन सब के लिए तो पूरा जीवन पड़ा है। टीवी पर ज्ञानवर्धक और हुनर वाले कार्यक्रम देखने के लिए प्रेरित करें, बजाय धारावाहिक के।
  • उन्हें चॉकलेट्स ,जेली क्रीम ,केक ,चिप्स, गैस वाले पेय पदार्थ और पफ्स जैसे बेकरी प्रोडक्ट्स और समोसे जैसे तले हुए खाद्य पदार्थ देने से बचें। स्नेह करें पर उनकी सेहत के साथ खिलवाड़ नहीं करें।
  • अपने बच्चों की आंखों में देखे और ईश्वर को धन्यवाद दें कि उन्होंने इतना अच्छा तोहफा आपको दिया है।अब से आने वाले कुछ सालों में वह नई ऊंचाइयों पर होंगे। उन्हें अपने पैरों पर खड़े होना है, उन्हें आत्मविश्वास दे। उनमें विश्वास दिखाएं, अंधविश्वास नहीं । उनकी हर जायज़ बात का समर्थन करें, अनावश्यक बातों के लिए रोकना – टोकना भी आवश्यक है। सबसे महत्वपूर्ण बात अपने बच्चों को अभाव में रहना भी सिखाए। असफलता के बाद सफलता की सीढ़ी आती है। यह बताएं मेहनत का कोई विकल्प नहीं है, और अध्ययन के बिना सफलता की कोई सीढ़ी नहीं है, इस बात का एहसास भी करवाएं।
  • माता – पिता होने के नाते यह जरूरी है कि आप अपना समय बच्चों को दें।
    अगर आप माता-पिता हैं तो इसे पढ़कर आपको समझ आ गया होगा कि कमी कहां है ।आइये प्रयास करते हैं ।जो छूट गया है ,उसको करते हैं। जो छूटना नहीं चाहिए, उसको करते हैं ।एक कदम सफलता की ओर बढ़ाते हैं। आंखें अगर नम है तो वजह साफ है कि आपके बच्चे वास्तव में इन सब चीजों से दूर हैं। इस परियोजना कार्य का एक-एक शब्द यह बता रहा है कि जब हम छोटे थे, तो यह सब बातें हमारे जीवनशैली का हिस्सा थी। इसके साथ हम बड़े हुए ,लेकिन आज हमारे ही बच्चे इन सब चीजों से दूर हैं। जिसकी वजह हम खुद हैं। इन सब से आवश्यक एक बात का एहसास उन्हें जरूर होना चाहिए कि अनुशासित जीवन ही सफलता का एकमात्र मार्ग हैं। उनमें अपार संभावनाएं हैं जरूरत केवल उन संभावनाओं को मूर्त रूप देने की है
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